पटना: राजनीतिक बहस में व्यस्त लोग इन दिनों सबसे अधिक समय इस चर्चा पर खर्च कर रहे हैं कि क्या सरकार का नेतृत्व बदलने जा रहा है? इस के कयासों का आधार यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ संबंधों को लेकर थोड़ा असहज चल रहे हैं। इन चर्चाओं को राजद की इफ्तार वाली दावत में नीतीश की मौजूदगी से थोड़ा बल मिला था। हालांकि अगले ही दिन पटना एयरपोर्ट पर गृह मंत्री अमित शाह के साथ चाय पर हुई नीतीश की चर्चा के साथ ही नेतृत्व परिवर्तन और भाजपा से साथ उनके असहज होते रिश्ते का मामला थोड़ा ठंडा हो गया। मुख्यमंत्री आम दिनों की तरह जरूरी बैठक कर रहे हैं। सरकारी अधिकारियों को ठीक से काम करने की हिदायत दे रहे हैं। यानी उनके किसी भी एक्शन से ऐसा नहीं लग रहा है कि बिहार सरकार में नेतृत्व के स्तर पर कोई संकट है। फिर भी कैबिनेट में फेरबदल की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है।
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कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा
बेशक मुख्यमंत्री के बदलने की चर्चा शिथिल हो गई है, लेकिन दूसरी तरफ कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा जोर पकड़ रही है। जदयू के सूत्र कहते हैं कि हमारी ओर से कुछ नहीं है। भाजपा के चलते कैबिनेट में फेरबदल की संभावना जरूर बन रही है। यह कब होगा? इसका निर्णय भी भाजपा को ही करना है। भाजपा चाहे तो अपने कोटे के कुछ मंत्रियों को हटाकर नए चेहरे ला सकती है। संभव है कि इस क्रम में भाजपा कोटे के कुछ मंत्रियों के विभाग में बदलाव भी हो।
मिड टर्म एप्रेजल
यह बदलाव मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा के आधार पर हो सकता है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में दूसरी बार 2005 में सरकार बनी तो उन्होंने दो साल बाद 2007 में मंत्रियों के कामकाज का मिड टर्म एप्रेजल किया था। तब भाजपा और जदयू कोटे के करीब आधे दर्जन मंत्री घर बिठा दिए गए थे। उनकी जगह नए चेहरे को कैबिनेट में जगह दी गई थी। समझा जाता है कि भाजपा उसी तर्ज पर कुछ मंत्रियों को घर बिठाए और नए चेहरे को अवसर दे। क्योंकि आम सरोकार वाले कुछ विभाग के मंत्री जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। उनके खराब कामकाज का असर पार्टी और सरकार की छवि पर पड़ रहा है। खासकर विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों से बड़े पैमाने पर आने वाली रिश्वतखोरी की खबरें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी विचलित कर रही हैं।
मुकेश सहनी की भरपाई
कैबिनेट के फेरबदल का एक उद्देश्य विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी की विदाई से पैदा हुई रिक्ति को भरना भी है। मुकेश भाजपा कोटे के मंत्री थे। उन्हें भाजपा के आग्रह पर ही कैबिनेट से हटाया गया। उनका विभाग पशुपालन एवं मत्स्य पालन फिलहाल उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के प्रभार में है। भाजपा चाहती है कि मुकेश की जगह वह भाजपा के किसी सहनी विधायक या विधान परिषद के सदस्य को कैबिनेट में शामिल करे। बोचहां विधानसभा चुनाव में सहनी बिरादरी के अधिसंख्य मतदाता भाजपा के खिलाफ चले गए थे। उनकी नाराजगी को कम करने के लिए किसी सहनी को कैबिनेट में शामिल कराना भाजपा के लिए जरूरी हो गया है। बोचहां के बहाने सहनी के अलावा भूमिहार बिरादरी से आने वाले किसी विधायक या विधान परिषद सदस्य को भी भाजपा अवसर दे सकती है।