कोलकाता, अदालत में दोनों पक्षों के अधिवक्ता गैरहाजिर थे। न्यायाधीश ने सीधे याचिकाकर्ता की बात सुनकर फैसला सुना दिया। कलकत्ता हाई कोर्ट के इतिहास में यह ऐसी पहली घटना है। मामला एक शिक्षिका के तबादले से जुड़ा है। हाई कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से शिक्षिका का उसके घर के पास के सरकारी स्कूल में तबादला करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि स्निग्धा दत्त बसु नामक संस्कृत की शिक्षिका को स्कूल आने-जाने के लिए रोजाना 258 किलोमीटर का फासला तय करना पड़ता था। उन्होंने इस बाबत कई बार स्कूल प्रबंधन से अपने घर के पास के किसी सरकारी स्कूल में तबादला करने का अनुरोध किया था लेकिन उनके अनुरोध को हर बार खारिज कर दिया गया। अंतत: उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने गत बुधवार को शिक्षिका की शारीरिक स्थिति को देखते हुए यह आदेश दिया। गौर करने वाली बात यह है कि उस दिन दोनों पक्षों के अधिवक्ता किसी कारण से अदालत में हाजिर नहीं हो पाए थे।
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याचिकाकर्ता शिक्षिका अदालत कक्ष में मौजूद थीं। न्यायाधीश ने सीधे उनसे उनकी समस्या पूछी। शिक्षिका ने उन्हें बताया कि वह बर्धमान की चंडूल इलाके की वाशिंदा है। 2018 में उनकी हावड़ा के उलबेरिया इलाके के जयपुर स्वर्णमयी गर्ल्स हाई स्कूल में संस्कृत की शिक्षिका के पद पर नियुक्ति हुई थी। उन्हें रोजना स्कूल आने-जाने में 258 किलोमीटर का फासला तय करना पड़ता है। उनकी शारीरिक स्थिति हर रोज इतनी यात्रा करने लायक नहीं है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन ने बार-बार उनके घर के पास स्थित किसी सरकारी स्कूल में उनका तबादला करने का अनुरोध किया लेकिन इसे हर बार खारिज कर दिया गया।
शिक्षिका ने अपनी खराब शारीरिक स्थिति के प्रमाण के तौर पर डाक्टरों की रिपोर्ट भी पेश की। इसके बाद न्यायाधीश ने स्कूल के प्रधानाध्यापक को तुरंत शिक्षिका को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने को कहा और स्कूल पर्यवेक्षक को आगे की व्यवस्था करने को कहा। न्यायाधीश ने यह आदेश दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की गैरहाजिरी में दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षिका अपने घर के पास के तीन स्कूलों में से किसी एक का चयन कर सकती हैं।