इस्लामाबाद: बीते कुछ समय में पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के कारण अशांति का माहौल देखा गया। यही नहीं देश ने गंभीर संवैधानिक संकट का भी सामना किया। 9 अप्रैल 2020 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नेशनल असेंबली में विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में इमरान खान की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था। उनकी सरकार को लेकर देश में 33 दिनों तक राजनीतिक उथल-पुथल मचा रहा, जिसके बाद शहबाज शरीफ ने देश की सत्ता संभाली। जैसे तैसे पाकिस्तान की राजनीति पटरी पर लौटी। लेकिन अभी भी देश तमाम मुश्किलों और राजनीतिक अशांति से घिरा हुआ है। ऐसे में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने राजनीतिक दलों के व्यवहार की निंदा की है।
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने कहा
पाकिस्तानी अखबार डान के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘अगर देश में कानून का शासन नहीं होगा, तो संविधान की सर्वोच्चता और हर पार्टी चाहेगी कि संस्थान अपने राजनीतिक आख्यान (नैरेटिव) के अनुसार काम करें, जिससे हर जगह अराजकता होगी।’ यही नहीं उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक दल अपने पक्ष में किए जाने वाले फैसलों का स्वागत करते हैं, लेकिन वे हर प्रतिकूल फैसले के लिए न्यायपालिका की आलोचना करने लगते हैं, जिसे मुख्य न्यायाधीश ने सरासर गलत ठहराया है।
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न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने यह भी स्पष्ट करते हुए कहा कि कानून के तहत संस्थान जवाबदेह हैं, लेकिन राजनीतिक नैरेटिव के दबाव में जवाबदेही की मांग करना पूर्ण रूप से अनुचित था।
वहीं शाहबाज गिल के वकील अहमद पंसोता ने सुनवाई के दौरान जोर देकर कहा कि पीटीआइ नेतृत्व के खिलाफ संघीय सरकार के इशारे पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसके लिए उन्होंने तर्क दिया कि ईशनिंदा कानून की धाराएं संघीय या प्रांतीय सरकारों के विशिष्ट निर्देश के तहत लागू की जा सकती है, साथ ही अधिकृत आधिकारिक गहन जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज कर सकता है।
क्या है पूरा मामला
शाहबाज गिल जब कोर्ट में पेश हुए, तब वह गंभीर रूप से घायल दिखाई दे रहे थे। वहीं जब वह इस्लामाबाद जा रहे थे तो उनकी कार मोटरवे पर टकरा गई। देश की अदालत को संबोधित करते हुए, उन्होंने अपने उपर मंडराते खतरे की बात कही और कहा कि उन्हें इस तरह की और घटना की आशंका है। वह मौजूदा शासन का पहला लक्ष्य थे, यही वजह है कि न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने शाहबाज गिल को उनकी चोटों के कारण अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी थी। आपको बता दें कि शहबाज गिल ने ईद की छुट्टियों के दौरान अपने वकील के माध्यम से याचिका दायर की थी, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश मिनल्लाह ने उन्हें 6 मई तक सुरक्षात्मक जमानत दी थी।