चंडीगढ़। चंडीगढ़ शहर के चारों हिस्सों में बसी झुग्गी झोपड़ियां इसके मूल अस्तित्व को नुकसान पहुंचाती रही हैं। इसके मॉडर्न आर्किटेक्चर स्वरूप के लिए यह एक धब्बे की तरह रही हैं। साल दर साल स्लम नए एरिया में बढ़ता गया और शहर का असल स्वरूप बदलता चला गया। कई बार तो दो अलग चंडीगढ़ होने की बात तक होने लगी। एक वह चंडीगढ़ जिसमें समृद्ध वर्ग रहता है और दूसरा झुग्गी झोपड़ी और कॉलोनियों वाला वह चंडीगढ़ जो कमजोर और मजदूर वर्ग का ठिकाना है। लेकिन अब कुछ दिनों बाद आपको चंडीगढ़ बदला बदला सा नजर आएगा। कच्चे स्ट्रक्चर शहर में नजर नहीं आएंगे। पूरा शहर अर्बनाइज्ड और प्लान्ड दिखेगा। जैसा इसके क्रिएटर ली कार्बूजिए ने इसको गढ़ते समय सोचा था। देश का सबसे नियोजित शहर।
यूटी प्रशासन ने इसको वही मूल स्वरूप देने का खाका तैयार कर लिया है। ब्लूप्रिंट को लागू करने का पूरा एक्शन प्लान तैयार है। इस पर प्रशासन ने शेड्यूल भी जारी कर दिया है। मई माह के पहले ही दिन शहर के सबसे बड़े स्लम एरिया में से एक कॉलोनी नंबर-4 को गिराकर 2000 करोड़ रुपये की 65 एकड़ जमीन को खाली कराया गया है। अब मई के आखिर तक दो और बड़ी कॉलानियों को गिराने के आदेश जारी हो चुके हैं। इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 स्थित संजय कॉलोनी और सेक्टर-25 की जनता कॉलोनी को गिराया जाएगा। अगले 20 दिनों में कभी भी यह कॉलोनी हटा दी जाएंगी। अभी तक चंडीगढ़ 370 एकड़ से अधिक जमीन को स्लम हटाकर खाली करा चुका है। जिसकी कीमत 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। अभी भी करीब 200 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है। जिसे हटाने की तैयारी हो चुकी है।
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स्लम हटने के बाद का यह प्लान
इन सभी स्लम कॉलोनी को हटाने के बाद स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ देश का स्लम फ्री शहर बन जाएगा। इसके बाद कहीं भी कोई स्लम एरिया डेवलप नहीं होने दिया जाएगा। जीरो टॉलरेंस की नीति को इसके बाद लागू किया जाएगा। जिस एरिया में झुग्गी बनेंगी उस एरिया के एंफोर्समेंट इंस्पेक्टर से लेकर अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसका पूरा प्लान तैयार कर लिया है।
17696 मकान बनाए, अब झुग्गी की जगह पक्के फ्लैट में बसेरा
चंडीगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में बसे स्लम एरिया को खत्म करने के लिए 2006 में बायोमेट्रिक सर्वे किया गया था। सर्वे के बाद कुल 25728 फ्लैट्स बनाए जाने का निर्णय लिया गया था। अभी तक इनमें से 17696 फ्लैट्स ही बनाए जा चुके हैं। पहले बने प्रस्ताव के हिसाब से अभी आठ हजार फ्लैट्स कम बने हैं। हालांकि 2006 के सर्वे में जो लोग मिले थे उन्हें फ्लैट मिल चुके हैं। झुग्गियों में रहने वाले 70 हजार से अधिक लोग अब पक्के मकानों में रह रहे हैं।